सेमेस्टर एग्जाम
जब आप किसी स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई करते हैं और आपका एग्जाम 1 साल के अंत में न होकर हर 6 महीने पर होता है तो उसे सेमेस्टर एग्जाम कहते हैं। सेमेस्टर एग्जाम प्रत्येक 6 महीने पर होता है।
एग्जाम दो प्रकार के होते हैं : एनुअल एग्जाम और सेमेस्टर एग्जाम।
एनुअल एग्जाम: जब आप एक साल कोई कोर्स पढ़ते हैं और फिर उसके बाद एग्जाम देते हैं तो उसे एनुअल एग्जाम कहा जाता है यानि 1 साल की पढ़ाई और फिर परीक्षा।
उदाहरण – मान लीजिए आप कोई कोर्स कर रहे हैं जो 3 साल का है जिसमें एक साल पढ़ने के बाद आपके पहले साल का एग्जाम होता है और फिर उसके बाद फिर 1 साल पढ़ाया जाता है फिर दूसरे साल का एग्जाम होता है और फिर तीसरे साल पढ़ाया जाता है और फिर तीसरे साल का एग्जाम होता है।
सेमेस्टर एग्जाम: सेमेस्टर एग्जाम में 6 महीने की पढ़ाई होती है और फिर परीक्षा, यानी 1 साल में दो बार परीक्षा हर 6 महीने पर।
उदाहरण – मान लीजिए आप कोई कोर्स कर रहे हैं जो 3 साल का है और वह कोर्स सेमेस्टर वाइज एग्जाम लेता है तो आपको हर साल दो बार एग्जाम देना होगा यानी 3 साल में 6 बार आपका एग्जाम होगा।
एक सेमेस्टर कितने महीना का होता है?
एक सेमेस्टर 6 महीने का होता है।
1 साल में कितने सेमेस्टर होते हैं?
1 साल में दो सेमेस्टर होते हैं।
एक सेमेस्टर में एक विषय में फेल होने पर क्या होगा।
अगर आप सेमेस्टर एग्जाम के किसी एक विषय में फेल हो जाते हैं तो आपको इंतजार करना होगा कि आपकी यूनिवर्सिटी कब उस विषय का फिर से बैक पेपर कंडक्ट कराएगी और जब बैक पेपर की डेट आ जाएगी तो आपको उस विषय का एग्जाम देना होगा।
वहीं अगर अगर आप अपने कोर्स के आखिरी साल में है और आप सेमेस्टर एग्जाम के किसी एक विषय में फेल हो जाते हैं तो आपको डिग्री मिलने में 6 महीने और इंतजार करना पड़ सकता है जब तक कि आप उस विषय का बैक पेपर देकर बैक पेपर एग्जाम को पास न कर ले।
सेमेस्टर 1 और 2 क्या है?
जब आप कोई कोर्स करने जाते हैं और वह कोर्स सेमेस्टर वाइज विभाजित होता है तो उसे कोर्स के पहले 6 महीने को सेमेस्टर 1 और उसके बाद के दूसरे 6 महीने को सेमेस्टर 2 कहते हैं।